सिगरेट की बिक्री पर जीएसटी सेस की मार, जुलाई-अगस्त में 9% कमी

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सबसे तगड़ा झटका एंट्री और प्रीमियम सेगमेंट की सिगरेट्स को लगा है जिन पर टैक्स में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।

कोलकाता। इंडिया में कानूनी तौर पर होने वाली सिगरेट की बिक्री जुलाई और अगस्त में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 8-9 फीसदी घटी है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत सिगरेट पर सेस में ज्यादा इजाफे के चलते ऐसा हुआ है।

तीन एनालिस्ट्स के मुताबिक, सेल्स में गिरावट सभी सेगमेंट्स में है, लेकिन इसका सबसे तगड़ा झटका एंट्री और प्रीमियम सेगमेंट की सिगरेट्स को लगा है जिन पर टैक्स में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। यह गिरावट हालिया महीनों में सबसे ज्यादा है।

मैक्वायरी की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स में उसके चैनल चेक से पता चला है कि सिगरेट वॉल्यूम्स पर भारी प्रेशर है। इसमें किंग साइज फिल्टर (84 एमएम) और रेगुलर साइज फिल्टर (69 एमएम) में ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

इन दोनों सेगमेंट्स में कीमतें गुजरे नौ महीनों में क्रमश: 20 फीसदी और 23 फीसदी बढ़ी हैं। मैक्वायरी ने कहा है कि चूंकि एंट्री लेवल सिगरेट्स का एक बड़ा हिस्सा 64 एमएम लंबाई का है और इसकी कीमत अब 5 रुपये प्रति सिगरेट से ज्यादा है, लिहाजा इस सेगमेंट से भी वॉल्यूम पर भारी प्रेशर बन रहा है।

साथ ही, कंज्यूमर्स भी 69 एमएम सिगरेट से 64 एमएम लंबाई वाली सिगरेट की ओर शिफ्ट हो रहे हैं जिसकी कीमत तकरीबन आधी है। इडलवाइज सिक्यॉरिटीज के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट अबनीश रॉय ने कहा, ‘सबसे ज्यादा बुरा असर 64 एमएम सेगमेंट पर पड़ा है ।

क्योंकि कंज्यूमर्स अवैध और स्मगल की हुई सिगरेट्स की ओर शिफ्ट हो गए हैं, जो 2 रुपये से 4 रुपये प्रति सिगरेट की दर पर बिकती हैं। आमतौर पर सिगरेट कंपनियां इस सेगमेंट में कीमतें बढ़ाने से बचती हैं क्योंकि यह सेगमेंट कीमतों को लेकर काफी सेंसिटिव होता है,लेकिन कंपनियों को टैक्स में इजाफे के चलते कीमतें बढ़ानी पड़ी हैं। इसकी वजह से वॉल्यूम में बड़ी गिरावट आई है।’

संशोधित अनुमानों से पता चल रहा है कि मार्केट लीडर आईटीसी का मौजूदा फिस्कल के लिए सिगरेट सेल्स वॉल्यूम 4-5 फीसदी गिरेगा, जबकि इससे पहले अनुमान लगाया गया था कि उसकी सिगरेट सेल्स फ्लैट रहेगी। इंडिया में कानूनी तौर पर बिकने वाली हर चार सिगरेट्स में से तीन आईटीसी की होती हैं।

जनवरी से मार्च की अवधि में सिगरेट सेल्स वॉल्यूम फ्लैट रहा, जबकि अप्रैल से जून के दौरान इसमें 1-2 फीसदी की मामूली गिरावट आई। मैक्वायरी ने कहा है कि फिस्कल ईयर 2013-14 से 2015-16 के दौरान सिगरेट की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी की वजह से सेल्स वॉल्यूम में बड़ी गिरावट आई है।

लेकिन इस दफा सेल्स वॉल्यूम में ज्यादा बड़ी गिरावट का अनुमान नहीं था क्योंकि कीमतों में इजाफा चरणबद्ध तरीके से हुआ और डिमांड एनवायरनमेंट में भी सुधार दिखाई दिया। जीएसटी के चलते आईटीसी ने जुलाई में सिगरेट की कीमतें 4-8 फीसदी बढ़ा दीं।

आईटीसी के सीईओ और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर संजीव पुरी ने कहा कि टोबैको रेगुलेशन में सिगरेट इंडस्ट्री से भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिगरेट पर टैक्स ‘पिछले कुछ वर्षों में 200 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ा है’ जिससे सिगरेट और दूसरे तंबाकू उत्पादों की तस्करी बढ़ गई है।